अपनी साख को आप शक्ति का स्तम्भ मान कर चलें। साख से ही आप औरों को भयभीत कर जीत सकते हैं। और एक बार आपकी साख में छेद हो जाये तो आप असुरक्षित हो जायेंगे; आप पर हर तरफ से वार होंगे।
इसी प्रकार अपने वैरियों की साख में उपलब्ध छिद्रों का प्रकटन करना सीखें। उसके बाद तो जनता की सोच ही उनको टांग देगी फांसी पर।
1 comments:
अपनी साख को बनाए रखन्र के साथ - साथ उसे निरंतर और ऊपर उठाते रहना चाहिए.
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