Sunday, July 13, 2008

प्रतिध्वनि




flower trans 
जिंदगी एक प्रतिध्वनि है, जो हम औरों के लिये सोचते हैं
वही लौट कर हमारे पास आता है।
--- स्वप्नरंजिता ब्लॉग पर आशा जोगलेकर। 

ज्ञानदत्त पाण्डेय


1 comments:

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही