Thursday, November 20, 2008

व्यक्तित्व और चरित्र


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व्यक्तित्व पर चरित्र से पहले ध्यान केन्द्रित करना, बिना जड़ों के पेड़ लगाने की सोचने जैसा है। 
--- स्टीफन कोवी। 

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Monday, November 17, 2008

तारे तोड़ कर लाने वाला आदमी


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वह आदमी जो एक स्त्री के लिये सब कुछ त्याग करने को तैयार है, जो उसके लिये तारे तोड़ कर ला सकता है, वह एक कमजोर आदमी है। वह उस स्त्री को किसी दूसरी के लिये कभी न कभी छोड़ देगा। यह केवल समय और अवसर पर निर्भर करेगा! 
--- इण्टरनेट से।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Friday, November 14, 2008

जीवन के दूसरे भाग का प्रबन्धन


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जीवन के दूसरे भाग के प्रबन्धन के लिये जरूरी है कि आप दूसरे भाग में प्रवेश से बहुत पहले वह प्रबन्धन करने लगें|
--- पीटर ड्रकर।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Tuesday, November 11, 2008

खर्च और कमाई


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उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो।
--- फुरसतिया ब्लॉग से।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Monday, November 10, 2008

भारत की राष्ट्रीय धारणा


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क्या आधुनिक अर्थ में भारत के पास राष्ट्रीय धारणा रही है?
"राष्ट्रीय धारणा" भारत के पास कभी नहीं रही। उससे मेरा मतलब राष्ट्र की राजनैतिक धारणा से है। यह आधुनिक उपज है। पर भारत में हमारे पास राष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धारणा अवश्य रही।...
--- श्री अरविन्द, जून २९, १९२६।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Saturday, November 8, 2008

परिवर्तन और यथास्थिति


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सिर्फ इस लिये कि हर चीज अलग लगती है, यह मत मान लीजिये कि कुछ बदल गया है! 
--- इरेने पीटर
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Friday, November 7, 2008

जिन्दगी का संतुलन


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जिन्दगी साइकल चलाने की तरह है। आपको अपना संतुलन बनाये रखने के लिये सतत चलते रहना पड़ता है।
--- अलबर्ट आइंस्टीन।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Wednesday, November 5, 2008

भय का सर्वथा अभाव


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"भय का सर्वथा अभाव" वीर की प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण नैतिक उच्चता है। और वह सभी उदात्त गुणों का मूल है।
--- गुरू माधव सदाशिवराव गोलवलकर
ज्ञानदत्त पाण्डेय


Tuesday, November 4, 2008

शिखर पर


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जब आप शिखर पर पंहुच जायें तो सावधान हो जायें। वहां से फिर नीचे ही जाना होता है।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Monday, November 3, 2008

हंसी और निर्मलता


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जितनी देर आदमी हंसता है उतनी देर उसके मन में मैल नहीं रहता। उतनी देर उसका कोई शत्रु नहीं रहता। ईर्ष्या ,द्वेष, घृणा के भाव नहीं रहते।
--- जोनाथन स्विफ्ट
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Sunday, November 2, 2008

हंसी


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अगर तानाशाह हिटलर और मुसोलिनी को हंसी के इंजेक्शन दिये जायें तो वे हंसने लगेगें। उनकी क्रूरता ,कठोरता जाती रहेगी। वे मानवीय और लोकतांत्रिक हो जायेंगे।
--- हजारीप्रसाद द्विवेदी।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Saturday, November 1, 2008

दास कैपीटल और अन्त समय


ज्ञानदत्त पाण्डेय

सोचना और बोलना


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मरा नहीं हूँ इसलिए सोचता हूँ। ज़िन्दा हूँ इसलिए बोलता हू। न सोचने न बोलने से आदमी मर जाता है। जो सोचा/जाना/समझा उसे आप के साथ बाँट सकूँ यही अभीष्ट है।
--- सुमन्त मिश्र "कात्यायन" के प्रोफाइल से।

ज्ञानदत्त पाण्डेय