Thursday, August 28, 2008

नफा-नुक्सान




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नफा नुक्सान हर व्यापार का होता अहम् हिस्सा
नफा होगा सदा, ये सोच कर व्यापार मत करना।
--- नीरज गोस्वामी, उनके ब्लॉग पर ताजा गज़ल से।


ज्ञानदत्त पाण्डेय

Wednesday, August 27, 2008

पुराना और नया




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पुराणमित्येव न साधु सर्वं, न चापि सर्वं नवमित्यवद्यम्।
सन्त: परिक्ष्यान्यतरद् भजन्ते , मूढ़: पर प्रत्ययनेय बुद्धि।।
`जो पुराना है , वह न तो सबका सब ठीक है और जो नया है , वह केवल नया होने के कारण अग्राह्य भी नहीं है। साधु बुद्धि के लोग दोनों की परीक्षा करके ही स्वीकार-अस्वीकार करते हैं। दूसरों के कहने पर तो मूढ़ ही राय बनाते हैं।´
--- महाकवि कालिदास
संगीता पुरी जी के ब्लॉग गत्यात्मक ज्योतिष से।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Tuesday, August 26, 2008

सफल व्यक्ति






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मैं अत्यन्त सफल व्यक्तियों का प्रशंसक हूं। पर यदि वह सफलता बहुत निर्दयता/निर्ममता से हासिल की गयी है तो मैं उस व्यक्ति की प्रशंसा भले ही करूं, उसकी इज्जत नहीं कर सकता।
--- रतन टाटा
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Sunday, August 17, 2008

ऊष्मा




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भगवान करें, आपके इगलू में गर्मी हो, आपके दिये में तेल हो और आपके हृदय में शान्ति!
--- एक एस्कीमो कहावत।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Sunday, August 10, 2008

वीरता




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कायरता की भांति वीरता भी संक्रामक होती है। 
--- मुंशी प्रेमचन्द 

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Saturday, August 9, 2008

मुखिया का कर्तव्य




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मुखिया मुख सों चाहिये, खान पान कहुं एक।
पालई पोषई सकल अंग, तुलसी सहित बिबेक॥
(मुखिया मुख की तरह होना चाहिये; जो खाने-पीने के लिये तो एक है पर बुद्धिमानी से शरीर के सब अंगों का पालन करता है)
--- तुलसीदास, रामचरित मानस, अयोध्याकाण्ड

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Friday, August 8, 2008

शौर्य!






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सामने टिकते नहीं, वनराज, पर्वत डोलते हैं।
कांपता है कुण्डली मारे समय का व्याल।
मेरी बांह में मारुत, गरुड़, गजराज का बल है! 
--- पुरुरवा का कथन; "दिनकर"; उर्वशी में।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Thursday, August 7, 2008

मनन




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मृत्युशैया पर हमारे जीवन की सबसे बड़ी हताशा यह होती है कि हमने अपने जीवन पर पर्याप्त मनन नहीं किया।
--- रॉबिन शर्मा।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Wednesday, August 6, 2008

प्रेम




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कौन कहे यह प्रेम हृदय की बहुत बड़ी उलझन है।
जो अलभ्य जो दूर उसी को अधिक चाहता मन है॥
--- "दिनकर", उर्वशी में।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Tuesday, August 5, 2008

पीड़ा और पीडित होना




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पीड़ा अनिवार्य है, पर पीड़ित होना वैकल्पिक! 
--- चीनी कहावत।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Monday, August 4, 2008

जोखिम




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वास्तविक जोखिम तो बिना जोखिम की जिन्दगी जीने में है।
--- रॉबिन शर्मा।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

Sunday, August 3, 2008

बन्धन की सीमा





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बन्धन को मानते वही, जो नद, नाले, सोते है।
किन्तु, महानद तो स्वभाव से ही, प्रचण्ड होते हैं॥
--- "दिनकर"; उर्वशी में।

ज्ञानदत्त पाण्डेय

Saturday, August 2, 2008

औरों को प्रेरणा देना




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मैं डा. एपीजे अब्दुल कलाम जी के विषय में पढ़ता हूं कि उन्होने अनेक बच्चों से मुलाकात की और उनसे मिलने को हर बच्चा यादों में संजो कर रखता है। इतने सारे बच्चों को अच्छा बनने की प्रेरणा देना अपने आप में एक महान कार्य कहा जायेगा डा. कलाम का।
ज्ञानदत्त पाण्डेय