Wednesday, August 6, 2008

प्रेम




flower trans
कौन कहे यह प्रेम हृदय की बहुत बड़ी उलझन है।
जो अलभ्य जो दूर उसी को अधिक चाहता मन है॥
--- "दिनकर", उर्वशी में।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

0 comments: