Saturday, August 9, 2008

मुखिया का कर्तव्य




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मुखिया मुख सों चाहिये, खान पान कहुं एक।
पालई पोषई सकल अंग, तुलसी सहित बिबेक॥
(मुखिया मुख की तरह होना चाहिये; जो खाने-पीने के लिये तो एक है पर बुद्धिमानी से शरीर के सब अंगों का पालन करता है)
--- तुलसीदास, रामचरित मानस, अयोध्याकाण्ड

ज्ञानदत्त पाण्डेय

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