Saturday, July 5, 2008

चिंता





flower trans
जितनी चिंता करता जाता,
उस अतीत की, उस सुख की।
उतनी ही अनन्त में बनती 
जाती रेखायें दुख की।।
---- कामायनी में श्री जयशंकर प्रसाद

ज्ञानदत्त पाण्डेय

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