Monday, June 30, 2008

समर्पण




flower trans
यदि तुम रूपान्तर चाहते हो तो बिना किसी दोषदृष्टि या विरोध-बाधा के, माता और उनकी महा शक्तियों के हाथों में सौंप दो, और अपने अन्दर उन्हें अपना काम बेरोक करने दो। तीन चीजें तुम्हारे साथ होनी चाहियें - चेतना, नमनशीलता और नि:शेष आत्मसमर्पण।
--- श्री अरविन्द, "माता" पुस्तक, अध्याय ६
ज्ञानदत्त पाण्डेय

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