Thursday, June 26, 2008

ईश्वर की शरण



flower trans
सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज:।
अहं त्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:।
(अर्जुन सभी धर्मों को छोड़ मेरी शरण में आजा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, चिन्ता न कर।)
भग्वद्गीता में अर्जुन से श्री कृष्ण।
ज्ञानदत्त पाण्डेय

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