"जब कभी तुम कोई शुभ कर्म करो तब यह मत सोचो कि ‘इतने छोटे कर्म से मुझे कुछ प्राप्त नहीं होगा’. जिस प्रकार बारिश का पानी बूँद-बूँद गिरकर पात्र को पूरा भर देता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्तियों के छोटे-छोटे शुभकर्म भी धीरे-धीरे संचित होकर विशाल संग्रह का रूप ले लेते हैं”.
– धम्मपद १२२
~ निशान्त मिश्र के ब्लॉग से।
– धम्मपद १२२
~ निशान्त मिश्र के ब्लॉग से।
1 comments:
bahut acche vichar hai.
हिन्दीकुंज
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