Sunday, April 11, 2010

शुभ कर्म


"जब कभी तुम कोई शुभ कर्म करो तब यह मत सोचो कि ‘इतने छोटे कर्म से मुझे कुछ प्राप्त नहीं होगा’. जिस प्रकार बारिश का पानी बूँद-बूँद गिरकर पात्र को पूरा भर देता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्तियों के छोटे-छोटे शुभकर्म भी धीरे-धीरे संचित होकर विशाल संग्रह का रूप ले लेते हैं”.
– धम्मपद १२२

~ निशान्त मिश्र के ब्लॉग से

1 comments:

Ashutosh said...

bahut acche vichar hai.
हिन्दीकुंज