Monday, April 20, 2009

जब भी गिरो, उठ खड़े होओ!


flower trans
पूरी जिन्दगी उस दौड़ जैसी है,
सभी ऊंचाइयों और गड्ढों से युक्त।
और जीतने के लिये आपको सिर्फ यह करना है –
जब भी गिरो, उठ खड़े होओ!
---- --- डी ग्रोबर्ग की एक कविता का अनुवाद।


1 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत प्रेरक।आभार।