Friday, April 3, 2009

आत्म-मन्थन


flower trans
ढूंढता फिरता हूँ ऐ 'इक़बाल' अपने आप को
आप ही गोया मुसाफिर आप ही मंज़िल हूँ मैं
--- अल्लामा इक़बाल, डा. चन्द्रकुमार जैन के ब्लॉग से उद्धृत।


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