Saturday, November 1, 2008

दास कैपीटल और अन्त समय


ज्ञानदत्त पाण्डेय

2 comments:

वर्षा said...

लंका नरेश रावण की भी जय क्यों न हो

अनूप शुक्ल said...

दास, कैपीटल सब आस-पास, एक-दूजे के पास!