Sunday, December 19, 2010

चलना



गंगटोट से ल्हासा जाते कम उम्र के विमल दे; गीयात्से से सामदिंग की अकेले यात्रा करते हुये -
अब मैं तेज या धीरे, जैसे भी चाहूं, चल सकता था। किन्तु इस लम्बी यात्रा में मैं यह जान गया था कि धीरे धीरे चलने से रात तक चलने का दम रहता है, तेज चलने से शीघ्र ही आदमी थक जाता है।

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