Tuesday, October 28, 2008

संघर्षों के पथ के राही


flower trans
जो बीच भंवर में इठलाया करते हैं वो बांधा करते तट पर नाव नहीं,
संघर्षों के पथ के राही सुख का जिनके घर रहा पड़ाव नहीं,
जो सुमन बीहड़ों में ,वन में, खिलते हैं वो माली के मोहताज नहीं होते
जो दीप उम्र भर जलते हैं वो दीवाली के मोहताज नहीं होते॥
---- चिठ्ठाचर्चा मेँ अनूप शुक्ल द्वारा उधृत। 
ज्ञानदत्त पाण्डेय

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