जो बीच भंवर में इठलाया करते हैं वो बांधा करते तट पर नाव नहीं,
संघर्षों के पथ के राही सुख का जिनके घर रहा पड़ाव नहीं,
जो सुमन बीहड़ों में ,वन में, खिलते हैं वो माली के मोहताज नहीं होते
जो दीप उम्र भर जलते हैं वो दीवाली के मोहताज नहीं होते॥
---- चिठ्ठाचर्चा मेँ अनूप शुक्ल द्वारा उधृत।
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