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Saturday, October 11, 2008
जनक
जो जनक को देख सकता है, उसे ही जनक का ज्ञान मिल सकता है, और एक बार जनक मिल गए तो फ़िर अष्टावक्र तो मिल ही जायेंगे !
---
ताऊ रामपुरिया का कमेण्ट।
ज्ञानदत्त पाण्डेय
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