लोग जब तक जिन्दगी में धक्का नहीं खाते, तब तक चमक नहीं आयेगी उनके व्यक्तित्व में, तब तक वे ऊंचाइयां नहीं छू सकेंगे। यह धक्का काम में असफलता के रूप में हो सकता है या बीमारी के रूप में भी!
Sunday, October 3, 2010
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1 comments:
बहुत सुंदर प्रस्तुति .. आपके इस पोस्ट की चर्चा ब्लॉग 4 वार्ता में की गयी है !!
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