यह जीवनशैली, उपभोग की उद्दाम असीमित लालसा कहां ले जायेगी। सिवाय अंत के इसका कोई अंत नहीं है। कहीं ना कहीं रास्ता आध्यात्मिक तत्वों से नियंत्रित जीवनशैली का है जिसमें तन मन और धन तीनों के उपभोग के बारे में सोचा जाता है। पर उस बारे में सोचने वाले लोग बहुत कम हैं।
--- आलोक पुराणिक, टिप्पणी में।
Wednesday, May 27, 2009
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