Saturday, August 29, 2009

अकेले संघर्ष


flower trans
जो बीच भंवर इठलाया करते ,
बांधा करते है तट पर नांव नहीं.
संघर्षों के पथ के यायावर ,
सुख का जिनके घर रहा पडाव नहीं.

जो सुमन बीहडों में वन में खिलते हैं
वो माली के मोहताज नहीं होते,
जो दीप उम्र भर जलते हैं
वो दीवाली के मोहताज नहीं होते.
फुरसतिया के ब्लॉग से।

1 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

वाह! बहुत बढिया.