Wednesday, March 11, 2009
आगंतुक
पिछली शताब्दी में अमेरिका का एक पर्यटक पोलेंड में महान यहूदी गुरु रब्बी हफेज़ हयीम के घर उनसे मिलने गया। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि रब्बी के घर में केवल किताबें ही थीं। फर्निचर के नाम पर उनके पास केवल एक टेबल और एक कुर्सी थी।
पर्यटक ने पूछा - "रब्बी, आपका फर्निचर कहाँ है?"
"आपका फर्निचर कहाँ है" - रब्बी ने उससे पूछा।
"मेरा"? मैं तो यहाँ बस एक आगंतुक हूँ!"
"और मैं भी" - रब्बी ने जवाब दिया।
--- निशांत मिश्र के ब्लॉग से।
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2 comments:
निशांत मिश्र की इस उत्तम पोस्ट को पढ़वाने के लिए धन्यवाद और धन्यवाद निशांत मिश्र का लिंक उपलब्ध करवाने के लिए.
आदरणीय ज्ञानदत्त जी, मेरी पोस्ट और मेरे ब्लौग को इस योग्य पाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. आप जैसे वरिष्ठ ब्लौगर का प्रोत्साहन पाकर मैं अभिभूत हूँ.
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