जो बीच भंवर इठलाया करते ,
बांधा करते है तट पर नांव नहीं.
संघर्षों के पथ के यायावर ,
सुख का जिनके घर रहा पडाव नहीं.
जो सुमन बीहडों में वन में खिलते हैं
वो माली के मोहताज नहीं होते,
जो दीप उम्र भर जलते हैं
वो दीवाली के मोहताज नहीं होते.
फुरसतिया के ब्लॉग से।
1 comments:
वाह! बहुत बढिया.
टिप्पणी देने के लिये क्लिक करें (Post a Comment)