Tuesday, June 30, 2009

ईमानदारी



ईमानदारी सारी सफलता का मूल है। उसके बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता मर जाते हैं।
~ मेरी के ऐश।


Sunday, June 28, 2009

समस्याओं के साथ जीना



ऐसा नहीं कि मैं स्मार्ट हूं। केवल यह है कि मैं समस्याओं के साथ अधिक समय व्यतीत करता हूं।
~ अलबर्ट आइंस्टीन।

Friday, June 26, 2009

दूरदर्शिता



अगर मैं औरों से अधिक दूर तक देख पाया हूं, तो इस लिये कि मैं महान व्यक्तियों के कंधे पर सवार था।
~ सर आइजक न्यूटन।


Wednesday, June 24, 2009

आत्मविश्वास



अगर आपमें आत्मविश्वास नहीं है तो आप दोहरी हार झेलते हैं जिन्दगी की दौड़ में। आत्मविश्वास के साथ तो आप दौड़ प्रारम्भ होने के पहले ही जीत चुके होते हैं।
~ मार्कस सिसरो।


Monday, June 22, 2009

नेतृत्व


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नेतृत्व, व्यक्ति की प्रभावशीलता का दूसरा नाम है। 
~ जॉन मैक्सवेल।


Sunday, June 21, 2009

अनुचित आलोचना



अनुचित आलोचना एक प्रकार की प्रशंसा होती है। प्राय इसका मतलब यह होता है कि लोग आपकी सफलता से जलने लगे हैं। याद रखें, कोई भी मरे कुत्ते को लात नहीं मारता।
~ डेल कार्नेगी।

Wednesday, June 17, 2009

लोगों का सुपरविजन



लोगों को यह मत बताओ कि काम कैसे करना है। उन्हें यह बता दो कि क्या करना है। फिर उन्हें आपको परिणामों से चमत्कृत होने का मौका दो!
~ जॉर्ज एस पैटन।

Tuesday, June 16, 2009

आलोचना



अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश कीजिये। और उसके बाद अपना छाता खोल लें, ताकि आलोचना की बारिश आपके गले से बहती हुई नीचे न आ पाये।
~ डेल कार्नेगी।


Sunday, June 14, 2009

आपका पेशा


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जहां आपकी प्रतिभा और विश्व की जरूरतें एक दूसरे को काटती हैं, वहीं आपका पेशा तय होता है।
--- अरस्तू।


Tuesday, June 9, 2009

मुझे ही क्यों भगवान?



अर्थर ऐश, लॉन टेनिस का महान खिलाड़ी एड्स से मर रहा था। उसे दुनियां भर से पत्र मिल रहे थे। एक प्रशंसक ने लिखा - भगवान को तुम्हें ही क्यों चुनना था इस गलत बीमारी के लिये?

अर्थर ने उत्तर दिया - दुनियां भर में ५ करोड़ बच्चे टेनिस सीखते हैं। पचास लाख सीख जाते हैं। पांच लाख उसमें से प्रोफेशन टेनिस खेलने वाले बनते हैं। पचास हजार सरक्यूट में आ जाते हैं। पांच सौ ग्रेण्डस्लेम में पंहुचते हैं। उसमें से ४ सेमीफाइनल में और दो फाइनल में।

जब मैं ग्रेण्डस्लेम जीत कर कप उठा रहा था, तब मैने यह भगवान से नहीं पूछा - मुझे ही क्यों भगवान? और आज जब मैं कष्ट में हूं तो मुझे नहीं पूछना चाहिये - मुझे ही क्यों भगवान?


Saturday, June 6, 2009

आदर


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जो हम नहीं समझ पाते, उसके प्रति आदर भाव रखते हैं। 
--- थॉमस फुलर।

Thursday, June 4, 2009

खुशी और गम


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हम कभी उतना खुश या उतना उदास नहीं होते, जितना हम अपने से अपेक्षा करते हैं। 
--- ला रोचफोकॉल्ड।


Tuesday, June 2, 2009

प्रलोभन


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ईमानदारी की रोटी ठीक है। यह मक्खन है जो प्रलोभन का कारण है! 
--- डगलस जेरॉल्ड।